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9 Feb 2022 · 1 min read

सीख दोहे

नयन बंद कर तू चले
जात कंही टकराई
एक छोटा सा टूकडा
देत हमे समझाई।।।।।।।१
जग सारा यू बाबरा
क्यू बाधे रीति भांति
पिसत पिसत कल पाट में
बीत जात दिन रात।।।।।।।२
पुष्प सुनाये अपनी गाथा
रूप मिले कितना सुहाता
मति गुमान करो मेरे भ्राता
न तो झाड देत मौर दाता।।।।।।।३
मिटटी कहत कुम्हार से
वर्थ करत परिश्रम मोहपे
समय आवत तेरा ही
दावि देही हम तोह का।।।।।।४

Language: Hindi
268 Views
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