सीख जो देवें बड़े
कविता रचना ख़ुद करो वरना बनो श्रोता सखे,
काम कविता चोरी का अच्छा नहीं होता सखे!
कविता किसी कवि की लगे तुमको अगर अच्छी बहुत,
नाम ले उसका पढ़ो पर मत बनो तोता सखे!
टूटी-फूटी जो बने लिखने की ख़ुद क़ोशिश करो,
किन्तु चोरों के दुलारे मत बनो पोता सखे!
सीख जो देवें बड़े उस पर मनन-चिन्तन करो,
ज़िन्दगी में गर तुम्हें खाना नहीं गोता सखे!
फल है मिलता हर किसी को ज़िन्दगी में सच ‘सरस’,
वैसा ही मिलता मगर जैसा कि वह बोता सखे!
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)