*सीखो कुछ परिंदों से*
सीखो कुछ परिंदों से
सीख लो दुनिया वालो मेल मिलाप परिंदों से,,
तब ही दिखोगे इस दुनियां मैं इंसा तुम जिंदो से,,
खुला आसमा पूरा उनका हर तरफ उड़ाने भरते है,,
हम एक दूजे के बीच दीवार बना लटके है कुंदो से,,
वो अनबोले मीठा बोले दूर निवासी गगन के,,
हम मुँह फेरे बोल न बोले घर के वासिन्दों से,,
भरे उड़ाने उन्मुक्त गगन की चूमे नभ की ऊंचाई,,
हमतुम सब यहाँ आन फंसे है जात धर्म के फन्दों से,,
नील गगन की शान बनी पंछी की कलरव बोली,,
मनु अब शांति लाओ मुक्त करो इन गोरखधंधो से,,
मानक लाल मनु?