“सीखने की उम्र कभी जाती नहीं “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हमारे देश की यही विडम्बना है कि हम कहते हैं कुछ और करते हैं कुछ ! हरेक वर्ष ‘हिंदी दिवस ‘ मनाया जाता है ! जगह -जगह बैनर और पोस्टर लगाये जाते हैं ! हिंदी गोष्ठी का आयोजन किया जाता है ! कवि सम्मलेनों में हिंदी का गुणगान होता है ! सारे देश में हिंदी दिवस का ढिंढोरा पीटा जाता है ! बच्चे ,बुड्ढ़े ,महिलाएं ,डॉक्टर ,इंजिनियर ,पंडित ,मौलवी ,कर्मचारी , समस्त शासकीय वर्ग ,नेता ,अभिनेता ,पत्रकार और तमाम लोग अपनी -अपनी एकजुटता का परिचय देते हैं और हिंदी भाषा की रक्षा का प्रण लेते हैं ! अंग्रेजी में लिखे ब्लोग्स फेसबुक में मनो काली अंधियारी रात जैसी लगने लगती है ! कौन इसे पढता है ? पर है ना अजीब बात …..? इन तमाम लोगों से आप पूछ कर देखें तो अधिकांशतः इनके बच्चे अंग्रेजी माध्यम में ही पढ़ रहे हैं ! अंग्रेजी पढना और बच्चों को पढाना कोई अपराध नहीं है और भारत के समस्त भाषाओँ को सम्मान देना भी अनुचित नहीं माना जा सकता ! आप भी पढ़ें ! सीखने की उम्र कभी जाती नहीं !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड