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15 Oct 2020 · 1 min read

सिसकता गम

कितनी हसरत से मांगी थी दुआ मैंने
न देखूं कभी भी सोगवार तुझे
ये क्या और क्युं हो गया जानाॅं
तेरे रात और दिन में दिखे गम ए दरार मुझे
चलो बीते हुए लम्हों से चुन के लाए हंसी
सिसकता गम मै रख लूं अपने पहलू में
लबों पे खेलती मूस्क की दुआ तुझे दे दूं
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
3 Likes · 277 Views
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