* सिला प्यार का *
** गीतिका **
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कभी मन किसी से लगेगा नहीं।
सिला प्यार का कुछ मिलेगा नहीं।
फुहारें बरसने लगी देखिए।
मचलने लगा मन रुकेगा नहीं।
कहीं कुछ ग़लत तो हुआ है यहां।
बिना आग धुंआं उठेगा नहीं।
बहुत खूबसूरत मगर फूल यह।
खिला है दुबारा खिलेगा नहीं।
जरा पास आकर करें बात प्रिय।
रही दूरियां तो निभेगा नहीं।
भटकना लिखा स्पष्ट तकदीर में।
करें कोशिशें पर मिटेगा नहीं।
अटल मृत्यु से बच सका कौन है।
यही सत्य है टल सकेगा नहीं।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०४/१२/२०२३