सिर की सफेदी
अपने सफ़ेद बालों को काला क्यों नहीं करते,
शरीर के रख रखाव का ध्यान क्यों नहीं रखते।
कहा मान कर देखो व्यक्तित्व निखर जाएगा,
अपने आप में गुलफ़ाम सा अहसास कराएगा।
काला करके देखो बालों को कैसी चमक आएगी,
चेहरे की रौनक़ बढ़ेगी और उम्र दस वर्ष घट जाएगी।
हमने तो उनके भले के लिए ही कही थी,
जवाब पलट कर जो आया अपेक्षा नहीं थी।
सफ़ेदी मुश्किल से आयी है वर्षों की घिसाई से,
उसको यूँ ही ख़त्म कर दूँ इस काली डाई से।
इस काले रंग को तो घिस घिस कर उतारा है,
और सफ़ेदी के नीचे अनेकों अनुभवों का पिटारा है।
यह तो अनुभवों और मेहनतों की सफ़ेदी है,
पाने को रुकावटों की ऊँची ऊँची दीवारें भेदी हैं।
उम्र खर्च कर दी जिस सफ़ेद रंग को पाने में,
कोई रुचि नहीं उसको काले रंग से हटाने में।
काले को घिसते घिसते उम्र गुजर गई,
इतने जतन कि चेहरे पर झूरियाँ उतर गई।
ये अनायास ही धूप में सफ़ेद नहीं हुए हैं,
इनके नीचे अनुभवों के सागर और कुएँ हैं।
जिसको हमने जतन से घिस घिस के उतारा है,
पता नहीं जमाने को वो काला रंग ही क्यों प्यारा है?