सिर्फ यह कमी थी मुझमें
(शेर)- अगर होती हमको मोहब्बत, तेरी दौलत सूरत से।
तो होती नहीं इतनी मोहब्बत, मुझको यार तुमसे।।
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सिर्फ यह कमी थी मुझमें, कि तुमको मैं पा नहीं सका।
अपनी मोहब्बत और वफ़ा का, सौदा नहीं मैं कर सका।।
सिर्फ यह कमी थी मुझमें—————–।।
मुझको नहीं था यह मालूम, दिल भी बिकता है यहाँ।
चेहरे और दौलत से ही, करते हैं लोग मोहब्बत यहाँ।।
मैं मगर पाने को तुमको, चेहरा नहीं मैं बदल सका।
सिर्फ यह कमी थी मुझमें—————-।।
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(शेर)- एक हकीकत यह भी है कि, तुम जी नहीं सकते मेरे बिना।
करेगा जब बेवफाई तेरा मसीहा, नहीं रह सकोगे मुझको पुकारे बिना।।
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सेज फूलों की, महल शीशों का, तुमको मिल जायेगा।
लेकिन टूटेगा जब तेरा दिल, कौन तुमको हंसायेगा।।
हो गया बदनाम मैं तुमसे, बर्बाद तुम्हें नहीं कर सका।
सिर्फ यह कमी थी मुझमें—————–।।
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(शेर)- मैं नाराज इसलिए नहीं कि, तू मेरी नहीं हो सकी।
अफसोस यही है यार, कि बेवफाई मुझसे नहीं हो सकी।।
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वैसे भी अब तो तुम्हारी, मुझको नहीं है कोई जरुरत।
तुम हसीन चाहे हो कितनी, लेकिन नहीं हो कोई मूरत।।
भूल यह मुझसे हुई है, दिल तेरा नहीं तोड़ सका।
सिर्फ यह कमी थी मुझमें ———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)