** सिर्फ प्यार ही प्यार हो **
याद आते हैं क्यूं बीते लम्हे
जो गुजारे थे उनके साथ
रुलाते क्यूं है वो किस्से
उन बीती रातों के
जो साथ रहकर की थी बातें
आज अलग होकर क्यूं याद आती है
क्या कुछ रिश्ता हमारा – तुम्हारा था
तोड़कर जिसे ना तोड़ पाया मैं
दिल सोचकर सोचता है
यह गुनाह क्या किया था मैंने
सज़ा जिसकी मिली मुंह मोड़कर मुझको
जैसे मिले ही ना थे राहे इश्क में हम-तुम
दिल टूटा यूं दर्पण की भांति
तड़पा दिल जैसे
बिन तर्पण तड़पती हो आत्मा मेरी
आईने में आईना देखकर खुद अपना रोक कर ना रोक पाया रोना अपना
क्यूं मिलाया था दो दिलों को
यूं तोड़ने की ख़ातिर जालिमो ने
हो सकते थे दो रास्ते पहले भी
उनके देता वास्ता हूं दिलो का
यूं ठोकर मारने के वास्ते
ना मिलाये कोई दो दिलों को यूं
याद आते हैं किस्से उस बीती रातो
के हमको और रुलाते हैं हमे
मिलने के वास्ते
यूं दो दिलो को जोड़कर
तोड़कर हंसना नहीं
रिस्ते बनाने से नही बनते कहते हैं
हम हाथ जोड़कर
अख़्तियार नही कुदरत के रिस्तो
को तोड़ने का तुमको
रोने का हक़ है तुम्हे रुलाने का नही मरने का हक है मारने का नही
सजा पाने का हक है सजा देने का नही
प्यार पाने का हक है प्यार छुपाने का
नहीं
याद आते हैं वो लम्हे जी गुजारे थे उनके साथ रुलाते है उनके किस्से
बीती रातों की यादों के साथ
रिश्ता कुछ तो था हमारा-तुम्हारा भी चाहे नाम ना दे पाये हम-तुम उसको
जिसे तोड़कर भी
ना अब तक तोड़पाया हूं मैं अब तक
क्या गुनाह किया था मैंने
जिसकी सजा मिली है मुझको
दुहाई है दिलवालो को अपने दिल की दिल जोड़कर ना तोड़े फिर कभी
टूटे दिल के तारो को जोड़कर
इश्क का नया सरगम सजायें
प्यार के सुर हो और
सुनने वाला दिल हो वहां
इक तमन्ना है मेरी
दुनियां दिल की आबाद हो
फिर कहीं रोशन इश्क का चिराग़ हो
रोशनी प्यार की लहराये सागर-जहां में बिनमोल दिल-बाज़ार में आकर
ग़म दूर हो जायें दिल के
दिल दे दिल ले
ऐसा व्यापार विनिमय हो दिल का
प्यारा इक संसार हो दिल का
जहां सिर्फ प्यार ही प्यार हो
बस सिर्फ प्यार ही प्यार हो ।
?मधुप बैरागी