सिर्फ पछतावा रहे, मौक़ा निकल जाने के बाद
सिर्फ पछतावा रहे, मौक़ा निकल जाने के बाद।
याद आएगी जवानी, उम्र ढल जाने के बाद।।
दिन का उजाला, निशा की चांदनी भाती बहुत।
लोग सो जाते हैं पर, शमां के जल जाने के बाद।।
सिर्फ खुशबू देर तक रहती है दिल के इर्द-गिर्द।
बाकी कुछ बचता नहीं कलियां मसल जाने के बाद।।
भूल जाते हैं वो दिन का चैन रातों का सुकून।
सूने दिल में इश्क की चाहत के पल जाने के बाद।।
इस क़दर मतलबपरस्ती, हैं यहाँ सब मतलबी।
कौन कब किसका हुआ मतलब निकल जाने के बाद।।
ठोकरें खाकर जिगर फौलाद जैसा हो गया।
कौन अब मुझको गिराएगा संभल जाने के बाद।।
मोमबत्ती तब तलक जिंदा है जब तक मोम है।
फिर न कोई पूछता उसके पिघल जाने के बाद।।
इन दरख्तों की भी कीमत सिर्फ तब तक है विपिन।
कौन इनको चाहता है इनके फल जाने के बाद।।
#विपिन_शर्मा