सिर्फ जो उठती लहर व धार देखेगा
सिर्फ जो उठती लहर व धार देखेगा
ध्येय अपना भूलकर मझधार देखेगा,
छोड़ दे जो हारकर पतवार मौजों से
वो भला कैसे नदी के पार देखेगा।
a m prahari
सिर्फ जो उठती लहर व धार देखेगा
ध्येय अपना भूलकर मझधार देखेगा,
छोड़ दे जो हारकर पतवार मौजों से
वो भला कैसे नदी के पार देखेगा।
a m prahari