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12 Sep 2024 · 1 min read

सिर्फ जो उठती लहर व धार देखेगा

सिर्फ जो उठती लहर व धार देखेगा
ध्येय अपना भूलकर मझधार देखेगा,
छोड़ दे जो हारकर पतवार मौजों से
वो भला कैसे नदी के पार देखेगा।
a m prahari

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