*#सिरफिरा (#लघुकथा)*
#सिरफिरा (#लघुकथा)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
“दो लाख बीस हजार रुपए की सौ कुर्सियाँ बैठेंगी । आपका सारा काम पूरा हो जाएगा । कुर्सी में ही लिखने की सुविधा वाली डेस्क भी रहेगी । अलग से मेज की जरूरत नहीं पड़ेगी ।”-फर्नीचर विक्रेता ने अपने शोरूम पर रखी हुई बहुत सी कुर्सियों में से एक कुर्सी को दिखाते हुए सरकारी विभाग के एक बड़े अधिकारी से कहा । अधिकारी को अपने विभाग के नवनिर्मित कॉन्फ्रेंस-हॉल के लिए सौ कुर्सियाँ खरीदनी थीं, जिनके लिए उचित दुकान तथा उचित दर की तलाश वह कर रहा था ।
“देखिए भाई ! दो हजार दो सौ रुपए की यह कुर्सी तो बहुत महँगी बैठ रही है । वैसे भी हमें अभी दो दुकानों की कोटेशन और लेनी हैं ।”- अधिकारी के इतना कहते ही फर्नीचर विक्रेता सजग हो गया ।
कहने लगा – “कोटेशन में क्या रखा है ? बाकी दो कोटेशन भी हम ही दे देंगे और आपको भी खुश करेंगे ।”
“वह तो हम समझ रहे हैं । मगर बाईस सौ रुपए की कीमत बहुत ज्यादा है । आपके खुश करने से भी काम नहीं बन पाएगा ।”
“दस परसेंट आप को दे देंगे । अब तो ठीक रहेगा ?”
“आप कुर्सियों की कीमत चालीस प्रतिशत कम कर दीजिए । फिर तीनों कोटेशन आप भी बना कर दे सकते हैं । हमें कोई आपत्ति नहीं होगी।”
” कैसी बातें कर रहे हैं साहब ? चालीस प्रतिशत कम करने के बाद क्या तो आपको बचेगा और क्या हमें बचेगा ?”
“आप सोच लीजिए । आपको बचे तो हमें कुर्सियाँ बेच दीजिए और अगर कुछ नहीं बच रहा है तो हम दूसरी दुकान तलाश करें।”- अधिकारी का लहजा अब सख्त था।
दुकानदार झुँझलाने लगा था । बोला “ठीक है । तीस प्रतिशत कम कर दूंगा। इससे ज्यादा नहीं हो पाएगा । आपकी समझ में आए ,तो हम से ले लीजिए ।”
कुछ देर तक अधिकारी सोचता रहा। फिर बोला ” चलो ! ऐसा करते हैं आपके हिसाब से कुर्सी की कीमत एक हजार पाँच सौ चालीस बैठ रही है आप चौदह सौ रुपए का रेट लगा दीजिए । कुर्सियाँ भिजवा दीजिए । हम आपको एक लाख चालीस हजार रुपए का चेक पेमेंट कर देंगे ।”
दुकानदार ने एक मिनट सोचा । अधिकारी के चेहरे की तरफ कुछ पढ़ने की कोशिश की ,मगर जब पढ़ने को कुछ नहीं मिला तो बोला ” ठीक है ! चौदह सौ में ही आप ले लीजिए । पाँच दिन बाद कुर्सियाँ पहुँच जाएँगी।”
सौदा तय करके जब अधिकारी शोरूम से बाहर चला गया तो दुकानदार अपने सहकर्मी से दबी जुबान में कहने लगा – “अजीब सिरफिरे आदमी से पाला पड़ा है। मुझे तो इसके दिमाग का एक पेंच ढीला नजर आता है ।”
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451