सिरदर्द
सिरदर्द
कुछ एक
लेकर आते हैं
धरती पर
अपने साथ सिरदर्द
जो भी उनके
आता है संपर्क में
दे जाते हैं उसे
सिरदर्द
उनके लिए
सब उत्सव-पर्व
हैं बेकार
उत्सव-पर्व भी
मनाते हैं
सिरदर्द में ही
सिरदर्द है उनका
परमोधर्म
कितना अच्छा होता
गर होता
उनका नाम सिरदर्द
-विनोद सिल्ला©