सिरचिनिया ठेस
‘ठेस’ सुन रहा हूँ…. कहानी तो पढ़ा ही था !
रेणु जी की कहानी ‘ठेस’ पर आधारित है ।
ठेस ने सिरचन जैसे स्वाभिमानी कलाकार को जन्म दिया है। हाँ, सिरचन चिक, सीतलपाती आदि बनाते हैं ! वह पैसे के लिए काम नहीं करता है, वह प्रेम और खाने के लिए कार्य करता है। वह मुँहजोर है, पर कामचोर नहीं !
किन्तु हरकोई सिरचन के स्वाभिमानी कृत्य को जानते हुए भी उन्हें आखिर में ‘ठेस’ पहुंचा ही देता है ! मानू की विदाई से पहले ही….
जय सिरचन, जय रेणु !