“सिय ,पिय की बाट जोहती”
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कंकेली छाँह बैठ
सिय ,पिय की बाट जोहती
आवें प्रिय ,हो रसकेली
स्वप्न मधुर टोहती
बीतें बिछोह के पल निष्ठुर
गूँजें केली के सुर सुमधुर,
हिय, सिय का हो पुलकित
ले जावें शीघ्र राम
संगिनी को कंकेली वन से
पुष्पित सज्जित हों ग्राम,ं धाम
प्रिय जन स्वागत हों खड़े द्वार
दीपों की हो प्रज्वलित कतार
द्वारे हो रंगोली सजती
कंकेली छाँह बैठ
सिय ,पिय की बाट जोहती
गूँजें केली के सुर सुमधुर
स्वप्न मधुर टोहती
अपर्णाथपलियाल”रानू”