सिया
जनक सुता जननी लव -कुश की
अर्धांगिनी उत्तम पुरुष की
त्याग की प्रतिमूर्ति सिया माँ
बसती है प्रभु राम हिया मा
नवमी तिथि वैशाख मास की
शुक्ल पक्ष में जब आए
जानकी को जनक सुता बनाकर
अवनि पर विधाता ने पठाए
प्राकट्य दिवस है अवनि सुता की
पतिव्रता के पति प्रभुता की
अवनि की गोद में जा बैठी
लाज रखी पति के निजता की
माँ सिय को है लाख बधाई
हम सबको आशीष दे माई
कृपा राम की तुम ही दिलाओ
सही मार्ग का बोध कराओ
-सिद्धार्थ गोरखपुरी