सियासी दांव पेंच
फैला के नफ़रतें प्यार के पैगाम न आएंगे
लगा के आग दिलों मे भी आराम न आएंगे
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सेकते हो तुम अक्सर यूं ही सियासी रोटियाँ
हर दफ़ा ये दाव पेंच सियासी काम न आएंगे
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कपिल कुमार
25/07/2016