सियासत
यहाँ कब बिगड़े हालात को सँभाला जाता है
यहाँ तो बस सियासी मुद्दा उछाला जाता है
अपनी अपनी रोटियाँ सेकतें है सियासतदाँ
क्या परवाह किसके मुँह का निवाला जाता है
– ‘अर्श’
यहाँ कब बिगड़े हालात को सँभाला जाता है
यहाँ तो बस सियासी मुद्दा उछाला जाता है
अपनी अपनी रोटियाँ सेकतें है सियासतदाँ
क्या परवाह किसके मुँह का निवाला जाता है
– ‘अर्श’