*सियासत हो गई अब सिर्फ, कारोबार की बातें (हिंदी गजल/गीतिका)*
सियासत हो गई अब सिर्फ, कारोबार की बातें (हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
चुनावों के टिकट दल में, लगे दरबार की बातें
सियासत हो गई अब सिर्फ, कारोबार की बातें
(2)
इलैक्शन जीतकर जनता की, करना है किसे सेवा
ये भाषणबाजियाँ-नारे, सभी बाजार की बातें
(3)
बधाई-शुक्रिया होते हैं, केवल खेल शब्दों के
धड़कते दिल से होती हैं, हमेशा प्यार की बातें
(4)
हजारों साल से सबको, लगी हैं आज तक अच्छी
मौहब्बत-इश्क-शादी-ब्याह, घर-परिवार की बातें
(5)
मिलेगा मुफ्त में ईश्वर, बिना खर्चे-बिना पैसे
ये रस्में ढेर रुपयों की, सभी बेकार की बातें
(6)
बिगड़ती बात है जब बीच, में कुछ लोग पड़ते हैं
मियाँ-बीबी में वरना रोज, हैं तकरार की बातें
(7)
दलालों ने कहा आओ, तुम्हें मंत्री बना देंगे
करोड़ों-अरबों रुपयों की, हुई व्यापार की बातें
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451