सियासतदार
सियासतदार झूठा हिसाब क्या देते
रोटी ना दे पाये किताब क्या देते
खुद नंगे जो महफ़िल में इज़्ज़त कैसे मिले
बेशर्म को तब नया नकाब़ क्या देते
उल्फ़त में रहे वो निज़ात कैसे पाते
बदगुमानी का सही हिसाब क्या देते
पकड़ा कर झंडे भीड़ में वो हिस्सा दिलाते
पेट की आग का वो हिसाब क्या देते
सभी के पेट खाली नारे बाजी ही करते
टुटे हुवे दिल को अब ख्वाब क्या देते
बच्चपन छिन के उन्हे भविष्य क्या मिले
सवाल सारे गलत थे जवाब क्या देते
सजन