सियाराम
मुक्तक
वन में झूले श्रीराम,संग सीता प्यारी।
रहे संग पिया जो,वन भी लगे फुलवारी।
बारिश की फुहाड़े पड़ी,झूले पड़े डाली में
नदी किनारे डाल हिंडोला,मुस्काती जनक दुलारी।
तरु-पुष्प ले रघु,बनाए सुंदर तारण।
इठलाती जानकी जब,गजरा लगावे साजन।
रहे हर पल साथ,पिया के विचारे सीता
है समभाव दोनों सोच,मुस्काते श्रीपति पावन।
-रंजना वर्मा