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23 Oct 2024 · 1 min read

सिमराँवगढ़ को तुम जाती हो,

सिमराँवगढ़ को तुम जाती हो,
सपनों का आंगन पाती हो,
इतिहास की धूल में छिपा,
एक राजमहल ढूँढने जाती हो।

जहाँ कभी रत्न जड़े थे,
अब मौन की चादर ओढ़े हैं,
दीवारों में बसी कहानियाँ,
तुम अपनों को समेटे हो।

गुमशुम वो पुराना किला,
नान्यदेव की धुन सुनाता है,
अजर-अमर वो वीर कथा,
हर कोने में गूंज उठाता है।

तुम्हारी आँखों में चमकती है,
सदियों की अनसुनी गाथा,
पग-पग पर इतिहास की छाया,
जैसे हवा में बिखरी प्रार्थना।

सिमराँवगढ़ को तुम जाती हो,
धुंधले रास्तों में खो जाती हो,
हर पत्थर, हर मोड़ पर,
किसी अतीत को छू आती हो।

वो शहर, जो अब भी जिंदा है,
तुम्हारे कदमों में है बसेरा,
सिमराँवगढ़ को तुम जाती हो,
जाने क्या खोजने आती हो।

—-श्रीहर्ष —-

Language: Hindi
27 Views

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