प्रकृति की पुकार
मैं पक्षी की चहचहाहट हूं
लोग मुझे खत्म करते जा रहे हैं
मैं पेड़ों की हरियाली हूं
लोग मुझे खत्म करते जा रहे हैं
मैं प्रकृति की सुंदरता हूं
लोग मुझे खत्म करते जा रहे हैं
बचाओ बचाओ बचाओ
कोई तो मुझे बचाओ…
मैं वायुमंडल हूं
मुझमें जहर क्यों घोल रहे हो
मैं तुम्हारी मां हूं मां , धरती मां
मुझे तुम जहर क्यों दे रहे हो
मेरी कोख सुनी क्यों कर रहे हो
अपने बच्चों को क्यों मार रहे हो
मैं तुम्हारा जान हूं जी हां जान
अपने आप को खुद क्यों मार रहे हो…
मैं आपके चेहरे का फूल हूं
पता नहीं! लोग उजाड़ क्यों रहे हैं
मैं गंगा का पवित्र निर्मल जल हूं
लोग मुझे आज मिटा क्यों रहे हैं
मैं आपका भविष्य हूं भविष्य
लोग मुझे नाश क्यों कर रहे हैं
बचाओ बचाओ बचाओ
कोई तो मुझे बचाओ…