*”सिद्धिदात्री माँ”*
“सिद्धिदात्री माँ”
हे माँ सिद्धिदात्री तुम्हें करते नमन ,
अष्ट सिद्धि नवनिधियाँ चरण वंदन।
अर्धनारीश्वर सुवर्ण रंग युक्त ,
स्फटिक की माला धारण वरद मुद्रा शोभित।
अर्धचंद्र तीन नेत्रों शोभायमान ,
शुम्भ निशुम्भ ,रक्तबीज का वध करती।
ढाल तलवार खड्ग लेकर शक्ति का प्रयोग कर,
अष्टभुजा से आकाश व्यापी दैत्यों का संहार करती ।
अतुलनीय बलशाली सैन्य दलों के साथ,
अगणित राक्षसों को शिवदूती सिंह के द्वारा काल कवलित करती।
शिव शक्ति में अनेक विभूतियां प्रगट हो,
अंगों की कांति बाल सूर्य सदृश है।
चंद्रमा के मुकुट मस्तक पर सुशोभित,
तीन नेत्रों से युक्त हाथों में वरद अंकुश पाश,
अभय मुद्रा शोभित संपूर्ण दिशाएं आलोकित करती।
हे विश्वेश्वरि विश्व का कल्याण कर ,
देवी चराचर विश्व की अधिष्ठात्री आधारभूत बलशाली समस्त विधाएं स्वरूप लिए हुए।
विश्व की नारियाँ सब देवी तुम्हारी ही प्रतिमूर्ति है।
पूरे विश्व को व्याप्त कर रखा ,
मोक्षदायिनी समस्त प्राणियों में बुद्धिरूप में निवास करती।
मांगलिक कार्यों को करने अखंड सौभाग्य देने वाली,
मंगलमयी कल्याणी शिव स्वरूपा हो ,
पुरुषार्थ प्रदान करने वाली शरणागत वत्सला त्रिनेत्र धारिणी गौरी माँ सृजन पालन करती।
सनातनी देवी गुणाधार सर्वगुण सम्पन्न,
शरणागत असहायों पीड़ितों की रक्षा करने वाली , क्लेश निवारिणी क्लेश हरती।
हंस के वाहन पर बैठी ,ब्रम्हाणी के वेश में हंसवाहिनी सरस्वती ज्ञान प्रदान करती।
शशिकला व्यास शिल्पी✍️🙏🚩🌹