सितमगर हो नहीं सकता
यकीं है ये कभी दरिया समंदर हो नही सकता
मुहब्बत से भरा जो दिल वो’ पत्थर हो नही सकता
जमाना कह रहा कातिल मुहब्बत का तुझे सँगदिल
मगर दिल जानता है तू सितमगर हो नही सकता
©
शरद कश्यप
यकीं है ये कभी दरिया समंदर हो नही सकता
मुहब्बत से भरा जो दिल वो’ पत्थर हो नही सकता
जमाना कह रहा कातिल मुहब्बत का तुझे सँगदिल
मगर दिल जानता है तू सितमगर हो नही सकता
©
शरद कश्यप