सिंह सा दहाड़ कर
सिंह सा दहाड़ कर
तु मौत पर भी वार कर
हौसला बुलंद कर
तू समुद्र को भी पार कर
तु निडर चल! निडर चल! निडर चल
है कठिन पथ तेरा ये सोचकर
मन को ना निराश कर
कहने वाले क्या कहेंगे
इसकी ना परवाह कर
तू निडर चल! निडर चल! निडर चल
मिली असफलता सौ बार है
तू फ़िर भी प्रयास कर,
इस वेदना की घडी में,
ना किसी का इंतजार कर
तू निडर चल! निडर चल! निडर चल
तू कौरवों की हार नहीं ,
पांडवों की जीत है ,
तू सर्वशक्तिमान है
तू अतीत नहीं भविष्य है
तू निडर चल! निडर चल! निडर चल
यूँ ही तू हार कर
खुद को ना बीमार कर
तू पंचतत्वों का सार है,
तू राजपुतानी तलवार की वह धार है
तू निडर चल! निडर चल! निडर चल
कहने वाले क्या कहेंगे इसकी ना परवाह कर
तू निडर चल! निडर चल! निडर चल
गौरी तिवारी भागलपुर बिहार