सिंहवाड़ा
आइये दिखाता हूँ आज मैं अपने गाँव का ऐतिहासिक नज़ारा
जहाँ बहती है बुढ़नद की कलकल धारा
1416 में सुलतान इब्राहिम का सेनापति गयास बेग
जब मिथिला राज पर टूट पड़ा
तब राजा शिव सिंह के भाई राजा पद्म सिंह एक वीरान जंगल में
कवि कोकिल विद्यापति ठाकुर के संग जहाँ डाला अपना डेरा।।
जिसका प्रमाण आज भी मौजूद है पदुम स्थान और पद्मौली पोखरा।।
राजा के सेना में आये अलग अलग जाति के लोग अपार
ब्राहमण क्षत्रिय कायस्थ भाट एवं भूमिहार
मलाह बरई ग्वाला धानुक तथा सोनार
बैठा पासवान चौधरी राम व कहार
नोनिया बनिया कोईरी हजाम और थे लोहार
उस समय यही लोग राजा के जीवनक्रम का रहे आधार।।
समय बदला इतिहास बदला, बदल गया संसार
कुछ लोग तो राजा के साथ चले गए रजवाड़ा
कुछ के लिए यही धरती बन गई जीवन का सहारा।।
सिंह का मतलब होता है राजा
निवास को कहते हैं वाड़ा
अर्थात सिंह का जो रहा है वाड़ा
ऐसे पड़ा मेरे गाँव का नाम ‘सिंहवाड़ा’।।
अब चलते हैं वर्तमान में
मंदिर मस्जिद स्कूल कॉलेज और बाज़ार
अस्पताल थाना प्रखंड मुख्यालय से है सुशोभित नगर पंचायत ‘सिंहवाड़ा’ जो है गाँव हमारा।।
रहते हैं जहाँ
ठाकुर झा मिश्रा पाण्डे और महराज
कुछ घर हैं बैठा राम भगत संग कमती
यादव मंडल महतो शर्मा सहनी
एक घर में रहते हैं चौधरी
कहार पासवान राय राऊत सिन्हा
कुछ घर रहते हैं पासी और कूज़रा
अपना अपना सब का है बोलबाला
हम सब हैं अपने गाँव का हैं मौलिक रखवाला।।
गाँव के लोग प्रतिदिन करते हैं जहाँ पूजा ध्यान
वह जगह है मंदिर राधाकृष्ण बजरंवली बाबा बटेश्वर नाथ और काली स्थान।।
आइये घूम लीजिए मेरा घर भी ज़रा
टोले राम कुंज है दमन बाबू का पोखरा
गाँव के टोले में जिनके घर के छत पर है खपड़ा
वो सिर्फ़ एक ही घर है जो है मेरा।।
बहे ‘पवन’ करे किलोल आदर्श गाँव की बोली बोल
रखें सब नेक आचार श्रेष्ठ व्यवहार
एक एक चेहरा हैं गाँव का मोहरा
पड़ने ना दे इस पर कुहरा।।
अधिकारी और अलाधिकारी से है भरा पड़ा
इतना सुन्दर कितना प्यारा सबसे न्यारा है गाँव हमारा।।
जय सिंहवाड़ा।।
प्रस्तुति:
पवन ठाकुर “बमबम”
गुरुग्राम
दिनांक: 16.03.2021