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9 Feb 2018 · 1 min read

सिंगापुर

खुद पुकारेगी जो मंजिल
तो ठहर जाउगा।
वरना खुद्दार मुसाफिर हूँ
गुजर जाउगा।।
जहां रात भी है
रोशन दिन की तरह
विदेश भाषा ,चेहरे
समयचक्र,आर्केटेचर
लाइफ स्टाइल,पर्यटनस्थल
इतिहास सस्कृति ही नही
आवोहवा यहां की
गन्ध ,हसी,मिजाज सुबह शाम
वनस्पति मौसम
अहमियत एक नागरिक के वजूद की
सोच जीवन के प्रति
होते है सब अलग अपने देश से
यायावरी,इतिहास की
रही हूँ बेहद शौक़ीन
इसी अनुभूति ने किया प्रेरित
सिंगापुर यात्रा वृत्तांतल

Language: Hindi
318 Views
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