*सा रे गा मा पा धा नि सा*
~~~~~~~~~~~~~
सा रे गा मा पा धा नि सा।
साथी रे!रुक जा ज़रा सा।
दिल-ए-दरिया है चढ़ा सा।
होगा आज मिलन अपना,
पूरा होगा हर एक सपना,
तू धरती है मैं आसमां सा।
चल हम-कदम ऐ हम-नवा,
ऐ मेरे महबूब-ए-खुश-अदा,
दिल ज़िद्द पर है अड़ा सा।
बस एक तेरी ही आरजू है,
तुझको पाने की जुस्तुजू है,
दिल हुआ जाए बावला सा।
~~~~~~~~~~~~~
सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।