साहिल
मिलन का गीत है साहिल, प्रेम का साज है साहिल
दिलों के तार जो छेड़े, वही आवाज है साहिल
जुदाई और तनहाई तो अंजाम-ए-मोहब्बत हैं
मचा देता है जो हलचल , इश्क़-ए-आगाज़ है साहिल
ज़ख्म खाने की आदत अब पुरानी हो चली
शौक से गले मिलते हैं कातिल घर आकर
साहिल नहीं बिखरता लहरों के थपेड़ों से
खुद टूटती हैं लहरें साहिल पर आकर..!!