साहिल की रेत पर
साहिल की रेत पर
सो रहे हैं
कुछ ख्वाब
समुन्दर से निकली
किनारे लगी
छटपटाती मछलियों से
पूरे नहीं होंगे शायद कभी
यह ख्वाब पर
उम्मीद की किश्ती
आस का चप्पू
हाथ में लिए
फिर भी
हवाओं संग लहरा रही
अठखेलियां कर रही
लहरों संग बहकर
उछल उछलकर
ऐसा प्रतीत हो रहा कि
कहीं उड़ती सी ही जा रही।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001