प्रीत पराई ,अपनों से लड़ाई ।
वफ़ा के बदले हमें वफ़ा न मिला
*नेक सलाह*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा !
कुछ फ़क़त आतिश-ए-रंज़िश में लगे रहते हैं
*स्वच्छ रहेगी गली हमारी (बाल कविता)*
अब क्या किसी से रिश्ता बढ़ाएं हम।
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
"उम्रों के बूढे हुए जिस्मो को लांघकर ,अगर कभी हम मिले तो उस
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उनका शौक़ हैं मोहब्बत के अल्फ़ाज़ पढ़ना !