साहित्य पीडिया हिंदी पर 1 वर्ष
साहित्य पीडिया हिंदी पर रचनाएं पोस्ट करते हुए आज 1 वर्ष पूर्ण हो गया है। आज अपनी ६५५वीं रचना प्रकाशित कर रहा हूं, मुझे साहित्यकारों कवियों का बहुत प्रेम मिला, पाठकों का अच्छा प्रतिसाद मिला,१९०००से अधिक व्यूज मिले, इसका मुझे बहुत आनंद एवं संतोष है। मैं अपनी खुशी जाहिर करते हुए साहित्य पीडिया परिवार का अभिनंदन एवं आभार प्रकट करता हूं। साहित्य पीडिया को मैंने परिवार लिख कर संबोधित किया, क्योंकि मुझे ऐसा ही अनुभव हुआ, इसलिए साहित्य पीडिया, साहित्य पीडिया के सम्मानीय संस्थापक गण, संचालक गण, स्टाफ सभी का मैं हृदय से बंदन अभिनंदन एवं आभार व्यक्त करता हूं।
साहित्य पीडिया पूरी दुनिया के हिंदी प्रेमियों, साहित्यकारों एवं हिंदी पाठकों का लोकप्रिय डिजिटल मंच है जिसमें देश विदेश के आज तक 34000 सदस्य हैं, एवं 56600 रचनाएं हैं जो प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।
हिंदी साहित्य पीडिया पर काव्य की हर विधा के कवि एवं साहित्यकार मौजूद हैं, जो कविता, गजल गीतिका, गीत, दोहे, कुंडलियां, बाल कविताएं घनाक्षरी, कव्वाली, शेर, तेवरी, मुक्तक, हाइकु, नाटक इत्यादि का निशदिन प्रकाशन कर रहे हैं। समसामयिक विषयों पर लेख, कहानी, लघु कथाएं प्रकाशित कर रहे हैं, जिन को पढ़कर साहित्यकार कवि एवं देश विदेश का पाठक वर्ग लाभान्वित हो रहा है। मुझे उन सभी से जुड़ने का अवसर मिला उनसे मिलकर आनंद की अनुभूति हुई, सभी को साधुवाद , सभी को हृदय से धन्यवाद आभार।
प्रिंट मीडिया का उदय, विचारों का आदान-प्रदान साहित्य सृर्जन, जागरूकता, समाज सुधार एवं स्वतंत्रता प्राप्ति के उद्देश से हुआ था। कालांतर में कार्य हुआ भी, इसलिए प्रेस मीडिया को प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया।
आज के दौर में प्रेस अखबार व्यवसायिक हो गए हैं, साहित्य की जगह सुर्ख़ियों में लग गए हैं,जन सरोकार, नैतिकता दूर की कौड़ी हो गए हैं। विज्ञापन पेड न्यूज़ खेमेबाजी में लग गए हैं, साहित्य को तो जगह ही नहीं है। साहित्यिक पत्रिकाएं दम तोड़ चुकी हैं। दूरदर्शन चैनल इन लोगों को साहित्य से कोई सरोकार नहीं, फूहड़ता परोस रहे हैं, एवं टीआरपी में लगे हुए हैं, निरपेक्ष भी नहीं है।
ऐसे कठिन समय में साहित्य पीडिया साहित्य सृजन की अग्रणी भूमिका निभा रहा है। मैं साहित्य पीडिया एवं हिन्दी के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए, सभी साहित्यकारों, कवियों, पाठकों और फालोअर्स को हृदय से धन्यवाद देता हूं। आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। धन्यवाद जय हिंद ।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी