साहित्य के प्रति युवाओं का कम होता प्रेम
वर्तमान युग को मशीनी युग कहा गया है जहां हर व्यक्ति शॉर्ट रास्ते को चुनना पसन्द करता है। अगर साहित्य की बात करें तो 90 फीसदी युवा व अन्य समस्त जिज्ञासाओं के जवाब कम्प्यूटर से ढूंढना पसन्द करते हैं, बहुत ही कम लोग हैं जो किताबों का अध्धयन करने में रुचि दिखाते हों। वह ये भी नहीं जानना चाहते कि जो शब्द उन्होंने इंटरनेट के माध्यम से लिये हैं वे पूर्णतया सही भी हैं या नहीं? उन्हें एक होड़ रहती है कि जल्द से जल्द कार्य को पूरा किया जाए भले वह सही हो गलत, इसके परिणाम के बारे में उनकी सोच नहीं बनती।
मेरे नजरिये में इंटरनेट से जानकारी लेना गलत नहीं है, परन्तु पुस्तकों का अध्ययन उससे कहीं बढ़कर है।
आप कम्प्यूटर से लगाव कम न करें लेकिन पुस्तकों से लगाव जरूर बढ़ाएं।
मनोज अरोड़ा
(लेखक, सम्पादक एवं समीक्षक)