“पं बृजेश कुमार नायक”(Pt. Brajesh kumar nayak)का संक्षिप्त परिचय
✓”पं बृजेश कुमार नायक” एक भारतीय हिंदी कवि हैं। उत्कृष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए आप भारत गौरव,विद्यासागर, हिंदी-सागर,प्रेम-सागर, विद्यावाचस्पति, साहित्य गौरव, जालौनरत्न और साहित्य भूषण सहित अब तक 17 से अधिक उपाधियों/मानद उपाधि/सारस्वत सम्मानों / सम्मानों से अलंकृत हैं। आप विश्व स्तरीय आध्यात्मिक संस्था “आर्ट ऑफ लिविंग” के संस्थापक और विश्व प्रसिद्ध योगी सद्गुरु श्री श्री रविशंकर के शिष्य हैं। पं बृजेश जी ने सामाजिक और आध्यात्मिक संस्थाओं से जुड़कर सामाजिक कार्यकर्ता और आध्यात्मिक टीचर के रूप में कार्य करने का लम्बा अनुभव प्राप्त किया है।आपकी चर्चित कृतियों में साहित्यपीडिया पब्लिशिंग, नोएडा ,भारतवर्ष से प्रकाशित “जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह, का द्वितीय संस्करण , आध्यात्मिक कृति “क्रौंच सु ऋषि आलोक” शोधपरक ग्रंथ/ खंड काव्य का द्वितीय संस्करण ,”पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण व “नायक जी के मुक्तक” मुक्तक संग्रह का प्रथम संस्करण के नाम आते हैं। साहित्यपीडिया पब्लिशिंग, नोएडा,भारतवर्ष से प्रकाशित पं बृजेश कुमार नायक की उक्त चारों चर्चित कृतियाॅं अमेज़न-फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध हैं।
✓”क्रौंच सु ऋषि आलोक” कृति का द्वितीय संस्करण आपका श्रेष्ठ आध्यात्मिक खंड काव्य है। उक्त कृति की रचना “प्रभु श्री राम का चेतनालोक” आपकी श्रेष्ठ आध्यात्मिक रचना है । देखिए उक्त “प्रभु श्री राम का चेतनालोक” रचना की एक ज्ञानमय, चेतनामय, भावमय और आध्यात्मिक दर्शन से युक्त कुंडलिया….
श्री सीतापति ज्ञानमय,लक्ष्मण पूर्ण सतर्क।
दिव्य भक्त हनुमान हैं,सेवारूपी अर्क।
सेवारूपी अर्क दिव्यतामय प्रकाश-सम।
जब हों तीनों एक, रुके रावण विकास-क्रम।
“नायक” कह ऋषि क्रौंच,चेत बिन मानव खलमति
को गह बनता क्षीण, लुप्त तब श्री सीतापति।।
✓ आर्कषक कृति “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” के द्वितीय संस्करण की श्रेष्ठ रचना….
सूर्य डरता ना कभी भी,बदलियों के राज से।
कुछ समय तक छिपे पर वह पुनि उगेगा नाज से।
मग के पत्थर रोक सकते न कभी आलोक -डग।
ज्ञान -दीपक जगमगाते, हर्ष बन ऋतुराज से।
जैसे मुक्तकोंं सहित अन्य ज्ञानमय , भावमय, प्रेममय, हास्य-व्यंग्य से परिपूर्ण रचनाओं के अतिरिक्त कई अन्य विषयों पर लिखी गईं सुंदर रचनाओं से आपकी उक्त चारों कृतियाॅं सुसज्जित हैं।
✓हाईस्कूल प्रमाणपत्र के अनुसार आपका जन्म 08 मई 1961 को ग्राम कैथेरी, तहसील उरई, जिला जालौन, उ प्र, भारतवर्ष के एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में श्री रामस्वरूप और स्वर्गीय श्रीमती मूर्ति देवी के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में हुआ था।आपने हिंदी विषय के साथ बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाॅंसी से मास्टर आफ आर्ट की उपाधि अर्जित की है।
✓’पं बृजेश कुमार नायक’ का पाणिग्रहण संस्कार ‘सुभाष नगर’ कोंच, जिला जालौन, उ प्र, भारतवर्ष के निवासी स्वर्गीय श्री सरजू प्रसाद दीक्षित, लोकतंत्र रक्षक सैनानी और श्रीमती राममूर्ति की इकलौती पुत्री/संतान ‘शिवकुमारी’ के साथ 1981 में ,उक्त स्वर्गीय श्री सरजू प्रसाद दीक्षित, लोकतंत्र रक्षक सैनानी की जन्मभूमि ग्राम कनासी , तहसील कोंच, जिला जालौन, उत्तर प्रदेश से हुआ था। वर्तमान में आपके दो पुत्र “पवन कुमार नायक” कमांडर इंडियन नेवी और “रवि प्रकाश नायक” एम कॉम, बी.एड. हैं। समय की माॅंग के अनुरूप आप दोनों पुत्रों सहित सपरिवार अपनी ससुराल ‘सुभाष नगर’ कोंच, ज़िला जालौन, उत्तर प्रदेश के निवासी बने, जागा हिन्दुस्तान चाहिए, क्रौंच सु ऋषि आलोक और पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं कृतियाॅं प्रकाशित होने के बाद आपने झाॅंसी में ज्येष्ठ पुत्र श्री “पवन कुमार नायक” कमांडर इण्डियन नेवी के मकान/विला D 75, ‘सनफ्रान अशोक सिटी’ झाॅंसी,उत्तर प्रदेश, भारतवर्ष को अपनी साहित्य साधना-स्थली बनाया। झाॅंसी, उ प्र, भारतवर्ष में, मकान संख्या/विला संख्या, G 122, सनफ्रान अशोक वैली,मुस्तरा रेलवे के पास, झाॅंसी को क्रय किया। पजेशन मिलने के बाद उक्त मकान /विला G 122, सनफ्रान अशोक वैली, झाॅंसी, उ प्र, भारतवर्ष “मुस्तरा रेलवे स्टेशन के पास” को कवि-धाम/कवि-कार्यालय के रूप में उपयोग करना प्रारम्भ किया।
संपर्क सूत्र
कवि-धाम
G 122,
सनफ्रान अशोक वैली,
झाॅंसी,उत्तर प्रदेश,भारतवर्ष,
पिनकोड-284128
“मुस्तरा रेलवे स्टेशन के पास”
👉उक्त परिचय को दिनाँक 30 सितंबर 2024 को पुनः परिष्कृत किया गया।
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👉विस्तृत परिचय हेतु नीचे tag पर जाकर “पं बृजेश कुमार नायक का परिचय” को छुएं/टच करें।
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