साहित्यकार कौन
अनवरत मार्गदर्शक समाज का,
दिखला निर्भीक आइना सभी को।
करता युग परिवर्तन जो निरन्तर,
प्रशस्त क्रांति कर्मपथ पाथिक को ।
समदर्शी, विनीत सदभाव करे प्रेरित,
मन में अगणित हो विचार उद्वेलित।
परिणाम सत्य से करे नित्य मार्गदर्शन,
करे सोचने पर विवश सामाजिक मन।
कलम उकेरे प्रतिबिंब समाज का,
सोए भावो की क्रान्ति उदित कर।
बुराई का नित खंडन करती सोच,
है साहित्यकार लिखे जो निसंकोच।
भूत भविष्य वर्तमान का है वो दृष्टा,
नव समाज की नव पीढ़ी का सृष्टा।
हैं प्रखर बुद्धि समालोचक मनीषी,
साहित्यकार है सत्य का अभिव्यक्ता।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश