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27 Jan 2024 · 1 min read

साहस है तो !

*
साहस है तो !
——————–
हर दिन नया-नया होता है,
और शाम तक वही पुराना !
जीवन जीने को कहते हैं,
और नहीं तो बस अफसाना !!
*
कोयल शिशु के कागा पाले,
ऐसे ही दुनियां भ्रम पाले ;
बोली है पहचान शुभ-अशुभ-
सज्जन को स्वर से पहचाना !
*
रातें शबनम से रोती हैं,
दिनकर आ आँसू पी लेता;
पर दिनकर को चोट लगे तब-
कौन चाहता उसे चुपाना ?
*
दिल से दिल तक की गहराई,
दिल से ही नापी जाती है ;
उथले हृदय नाप ना पाते –
पाते नहीं यथेष्ट निशाना !
*
तितली के पर बहुत मुलायम,
शायद फूलों से भी ज्यादा ;
उम्दा से उम्दा मिलने को –
मानक तितली का इतराना !
*
मानव बहुत बिचित्र धरोहर ,
रूक्ष और अति कोमल भी है ;
डर कर कभी वार ये करता-
साहस करे तो जेय जमाना !
———————————————-
C/R @ स्वरूप दिनकर
———————————————–

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