साश्वत सत्य
हाँ मुझे बहुत आँगे जाना है ।
बहुत दूर निकल अपनों से ,
अपनों का दिल दुखाना है ।
लौटूँगा फिर उस दिन में ,
जब एकाकी हो जाना है ।
अनन्त स्वप्न सजाना है ,
नींद तो एक बहाना है ।
मुझको फिर वापस आना है ,
माटी को माटी हो जाना है ।
मौत तो एक बहाना है ,
ज़ीवन तो एक ठिकाना है ।
आना है और जाना है ,
साश्वत सत्य पुराना है ।
हाँ मुझको बहुत आँगे जाना है ।।
…. विवेक दुबे “विवेक”©…