‘सावरकर’ सर
विचारक और इतिहासकार सावरकर ने ही तो पहलीबार 1857 की लड़ाई को भारत की प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन कहा था…. कोई कालेपानी में ताउम्र व्यतीत कर दे, यह कोई त्याग की बात नहीं है ! अगर सावरकर महोदय में प्रतिभा है, जिसे ओमप्रकाश महोदय ने स्वीकारे, तो कालेपानी से बाहर निकलने की जुगत गलत कहाँ हुआ ?
कोई कालेपानी में ताउम्र व्यतीत कर दे, यह कोई त्याग की बात नहीं है ! अगर सावरकर महोदय में प्रतिभा है, जिसे ओमप्रकाश महोदय ने स्वीकारे, तो कालेपानी से बाहर निकलने की जुगत गलत कहाँ हुआ ? क्या अभी चिदम्बरम साहब तिहाड़ से निकलने के लिए कोर्ट में जमानत की अर्ज़ी नहीं दे रहे हैं क्या ?
ओमप्रकाश महोदय, आप ‘लालरेखा’ उपन्यास पढ़िये, सिर्फ सच्चाई के सहारे देश आजाद नहीं हुआ है, इनमें साम, दाम…. लिए कूट-व्यायाम भी हुए हैं !महान हिन्दू विचारक और इतिहासकार सावरकर ने ही तो पहलीबार 1857 की लड़ाई को भारत की प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन कहा था…. कोई कालेपानी में ताउम्र व्यतीत कर दे, यह कोई त्याग की बात नहीं है ! अगर सावरकर महोदय में प्रतिभा है, जिसे ओमप्रकाश महोदय ने स्वीकारे, तो कालेपानी से बाहर निकलने की जुगत गलत कहाँ हुआ ?
कोई कालेपानी में ताउम्र व्यतीत कर दे, यह कोई त्याग की बात नहीं है ! अगर सावरकर महोदय में प्रतिभा है, जिसे ओमप्रकाश महोदय ने स्वीकारे, तो कालेपानी से बाहर निकलने की जुगत गलत कहाँ हुआ ? क्या अभी चिदम्बरम साहब तिहाड़ से निकलने के लिए कोर्ट में जमानत की अर्ज़ी नहीं दे रहे हैं क्या? ओमप्रकाश महोदय, आप ‘लालरेखा’ उपन्यास पढ़िये, सिर्फ सच्चाई के सहारे देश आजाद नहीं हुआ है, इनमें साम, दाम…. लिए कूट-व्यायाम भी हुए हैं !