सावन
सावन दोहे
हरित चुनर वसुधा सजे, कर सोलह श्रृंगार।
छाती सावन माह में,पर्वों की है बहार।
सावन पूनो को मने,राखी का त्योहार।
परस्पर बढ़ता ही रहे,भ्रात-बहन का प्यार।
धीमी सी बौछार है, कभी मूसलाधार।
मिल सब सखियां झूलती, सावन झूला डार।
बांध जेवड़ी डाल पे,पेंघ बढावें नार।
सावन की बरसात में, भीगे सब नर नार।
छिपता घन पीछे रवि, अक्सर सावन मास।
नीलम बन तू रौशनी,फैला ज्ञान प्रकाश।
नीलम शर्मा