सावन
दोहा छंद
प्रदत शब्द सावन
सावन आया नाचता, बरखा संग बहार।
मेघराज भी झूमता, गाता गीत मल्हार।।
घिर- घिर डोले बादली, शीतल मंद बयार।
झूम- झूम कर सांवली, अविरल करती प्यार।।
पर्वत- पर्वत झुमके, चलत मेघ का राज।
कड़ -कड़ कड़के दामिनी, सावन करता नाज ।।
तपन जेठ की झेलती ,देख गगन की ओर।
सावन की बौछार से ,प्यास मिटे घनघोर।।
धरती कहे पुकार के, मेरे सावन मीत।
प्यास मिटे इस देह की , मधुर मिलन की रीत।।
कोयल कुके कानने , दादुर करते शोर।
सावन की बौछार में ,नाचे वन में मोर।।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश