सावन
उमड़ उमड़ कर, गरज गरज कर, घिर आये काले काले, घनर घनर घन।
देख पड़ती फुहार,पुलक रहा है तन, भीग बरसात में यूँ, खिले वन उपवन,
धरती से उठ रही, सौंधी सौंधी सी महक, हरियाली चहुँ ओर, देख झूमा जाए मन।
मन में उमंग ले के, नये नये रंग ले के, प्यार की सौगात लिए , मिलने आया सावन।
24 07-2022
डॉ अर्चना गुप्ता