सावन
सावन की बूंदे जब बरसती होगी
दिल ही दिल में वह मुझे याद करती होगी
मेरी यादों में वो सो न सकी होगी
रात भर वह बिस्तर पर करवटें बदलती होगी
गांव की महिलाओं को जब हरी साड़ी
और हरी चूड़ियां पहनती देखती होगी
जिस तरह सावन बरसता है
उसी तरह वह भी रोती होगी
मन ही मन वो मुझे याद करती होगी
कब जाएगा सावन वो दुआ करती होगी
सावन की बूंदे जब बरसती होगी
दिल ही दिल में वह मुझे याद करती होगी
सुशील कुमार चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार