सावन
सावन की रिमझिम, पवन सननसन , भँवरे की गुनगुन, मन को लुभा रही।
तितली भी घूम-घूम,कलिका को चूम-चूम, खोये खोये नयन में, प्रीत को जगा रही।
होकर खुशी में चूर, डाली हर रही झूम, कोकिला भी कूक कूक ,नगमे सुना रही।
हिय में लगी अगन, दूर हम से सजन, हर घड़ी हर पल, याद आ सता रही।
27-7-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद