[[सावन]]
[[सावन]]
@दिनेश एल० “जैहिंद”
झूल झूल झूला झुलूँ,
झूले झुलनिया मोरी ।।
झूलत झूलनिया देख,
हिया जले काहे तोरी ।।
सावन सखी सब दिन,
सब मास नाहिं सावन ।।
सखी सावन होवे काहे,
सबके मन बड़ भावन ।।
झूम झूम झूमे गुजरिया,
झम झम बरसे घनघोर ।।
झनक झनक तन झनके,
झूम उठे तन मन मोर ।।
चहुँ ओर चिर चुनर भींगे,
चौदह मिल गावे कजरी ।।
चंद चंचला कमर हिलावे,
चुप चुप बरसे बद बदरी ।।
झूला झुलूँ ,आसमां छूलूँ ,
ऊपर-नीचे और मैं डोलूँ ।।
स्वर्ग लोक से घूम आऊँ,
चाँद सितारों संग मैं होलूँ ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
15. 11. 2018