Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2022 · 1 min read

“सावन-संदेश”

नवकोपल, कलियों के सँग, इठलाते हैं,
मदमाते भँवरे, सँगीत, सुनाते हैं।
अहा, घिरी वह, फिर देखो, घनघोर घटा,
मदन मोर, मनमोहक नृत्य दिखाते हैं।।

आई कुछ कहने, प्रातः अरुणाई भी,
छाई, फिर से उपवन मेँ, तरुणाई भी।
यौवन का उल्लास, धरा के कण-कण मेँ,
हुई सुगंधित पुरवा, कुछ बौराई सी।।

रँग-बिरँगे पुष्प हँसे, उन्मत्त दिखे,
कल क्या हो, की चिंता से भी मुक्त लगे।
आभा दिखी, तितलियों की भी है अनुपम,
कर कलरव, पक्षीगण, सब सँयुक्त हँसे।

सरिता, सतत, समर्पण का, सम्मान रहे,
पर्वत की, ऊँचाई का भी, मान रहे।
कभी न मानो हार, भले कँटक कितने,
साहस का जीवन मेँ, हर पल साथ रहे l

मौन न रहना, प्रेमी सँग, कुछ कहना भी,
सावन प्रेम-प्रतीक, प्रकृति का गहना भी।
“आशा” पूरित रहे, सदा जीवन सबका,
रास आ गया ज्यों, मिलजुलकर रहना भी।।

##———–##———–##————##———

रचयिता
Dr.asha kumar rastogiM.D.(Medicine), DTCD
Ex.Senior Consultant Physician, district hospital, Moradabad.
Presently working as Consultant Physician and Cardiologist,
sri Dwarika hospital, near sbi Muhamdi, dist Lakhimpur kheri
U.P. 262804 M.9415559964

Language: Hindi
17 Likes · 25 Comments · 576 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
View all
You may also like:
चलता ही रहा
चलता ही रहा
हिमांशु Kulshrestha
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
VEDANTA PATEL
"गूंगी ग़ज़ल" के
*Author प्रणय प्रभात*
कभी कभी चाहती हूँ
कभी कभी चाहती हूँ
ruby kumari
रामजी कर देना उपकार
रामजी कर देना उपकार
Seema gupta,Alwar
अध्यापक दिवस
अध्यापक दिवस
SATPAL CHAUHAN
"जिंदगी"
नेताम आर सी
प्रेम अपाहिज ठगा ठगा सा, कली भरोसे की कुम्हलाईं।
प्रेम अपाहिज ठगा ठगा सा, कली भरोसे की कुम्हलाईं।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जो हुआ वो गुज़रा कल था
जो हुआ वो गुज़रा कल था
Atul "Krishn"
मानव  इनको हम कहें,
मानव इनको हम कहें,
sushil sarna
तहरीर लिख दूँ।
तहरीर लिख दूँ।
Neelam Sharma
गरीब की आरजू
गरीब की आरजू
Neeraj Agarwal
जो सच में प्रेम करते हैं,
जो सच में प्रेम करते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
बरसात के दिन
बरसात के दिन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जिस तरीके से तुम हो बुलंदी पे अपने
जिस तरीके से तुम हो बुलंदी पे अपने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
वर्णमाला
वर्णमाला
Abhijeet kumar mandal (saifganj)
याद आते हैं वो
याद आते हैं वो
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
💐प्रेम कौतुक-515💐
💐प्रेम कौतुक-515💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
परमेश्वर का प्यार
परमेश्वर का प्यार
ओंकार मिश्र
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मत पूछो मुझ पर  क्या , क्या  गुजर रही
मत पूछो मुझ पर क्या , क्या गुजर रही
श्याम सिंह बिष्ट
3011.*पूर्णिका*
3011.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
Ram Krishan Rastogi
कुछ नही हो...
कुछ नही हो...
Sapna K S
सहकारी युग ,हिंदी साप्ताहिक का 15 वाँ वर्ष { 1973 - 74 }*
सहकारी युग ,हिंदी साप्ताहिक का 15 वाँ वर्ष { 1973 - 74 }*
Ravi Prakash
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
दीवानगी
दीवानगी
Shyam Sundar Subramanian
* धरा पर खिलखिलाती *
* धरा पर खिलखिलाती *
surenderpal vaidya
You have climbed too hard to go back to the heights. Never g
You have climbed too hard to go back to the heights. Never g
Manisha Manjari
गुज़रा हुआ वक्त
गुज़रा हुआ वक्त
Surinder blackpen
Loading...