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7 Oct 2020 · 1 min read

सावन लायो संदेस

सावन लायो संदेस

घिर घिर आयो बदरा लायो पिया संदेस
बिजुरी भी नैनन से देवत मिलन संकेत

मृदु संगीत सी छन छन बरसत जल धारा
टिप टिप की ताल पर थिरकत मन मयूरा

मिश्री सा घुल जात पपीहे का रस गान
रोम रोम धड़कत सुन कोयल की तान

उमड़ घुमड़ गरजत अम्बर बादल कारा
शंपा जो चमकत रोमांचित अंग सारा

कंपित अधरों पर बून्दे करत मृदु चुंबन
मोरे मन उमड़त प्यार का भीगा सावन

इस रुत संग होत हरी हरी वसुंधरा
सराबोर मैं प्रेमरस रंग चढ़त गेरुआ

रेखा

Language: Hindi
403 Views

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