सावन में संदेश
प्रकृति की सारी उपमाएं, लालिमा बिछाए झांके
लावण्य रूप अनुपम छवि, पिया मिलन को ताके
छत पर बैठी देख रहीं वह, प्रकृति की अटखेली
विरह सोच में डूब गई वह, सुकुमारी सुमन चमेली
कभी कभी सुने कटु वाणी तो, कभी उलाहना पाती
यह सावन अग्नि बरसाए, तो छिपकर दृगम्ब बहाती
सभी आशाएं बिखर गई हैं, बस एक बची थीं आश
शीतल पवन संदेश ले जाओ, प्रिय प्रियतम के पास
गरजे दामिनी, बरसे मेघा, ऋतु सावन श्रृंगार अधूरा
सखियों की मतवाली बाते, मेरे हिय पर चलाए छुरा
धरा फलित जल हरियाली, मुझे सताए अमावस्या काली
तुझे पुकारे ए मतवाली, नहीं चाहिए झुमका बाली
वृक्ष सरोवर पनघट कहते, सावन बीन अधूरा पानी
काली राते दादुर झींगुर, इनकी लागे करकस वाणी
पशु पंक्षी चहक रहें हैं, मयूर करें नृत्य निराली
मेरा मन भी झूमना चाहे, तेरे बीन जीवन खाली
आकर अपनी छतर दे देना, आँचल ना हो जाए मैला
मन्मथ आकर मुझे सताए, तारुण्य क्षितिज तक फैला
आग्रह करती तेरी वनिता, सावन से पहले आ जाना
प्रकृति की प्यारी सी अनुभव, आ स्थापित कर जाना