सावन पुकार रहा
सावन भी पुकार रहा, देख धरा के हाल।
ताकते जन जन अम्बर, सूख गए सब ताल ।।
हे ! मेघ बरस जाइए, सुन हमारी पुकार ।
मच रहीं हैं उथल पुथल व्याकुल हैं संसार ।।
झूले बिन सूनी हुई, पेड़ो की हर डाल ।
सावन में बैसाख हैं, उमस करें बेहाल ।।
।।जेपीएल।।