सावन के बादलों ने ___ घनाक्षरी
सावन के बादलों ने ,जब से है डेरा डाला।
अम्बर में सूर्य देव,छुपकर रहते है।।
घटाएं तो घिर घिर, नीर भर लाई अब।
यहां वहां धरा पर,झरने तो बहते है।।
हरी भरी वसुंधरा, सज गई चहुं और।
मोर कर रहे शोर,पिहुं पीहुं करते है।।
रिमझिम फुहारं में,भीग रहे तन मन।
सावन सुहाना बना,जब मेघ झरते है।।
राजेश व्यास अनुनय